शायद हर एक लड़की के मन में यही पुकार उठी होगी जिसे वो किसी से कह नहीं पाती .............हमेशा यही एक डर उसके मन में होता है ...........................
जो हूँ वही रहने दो ,
बस इतना एहसान कर दो ,
मुझे खुद में मिलाकर तुम ,
मेरी पहचान मत छीनो,
ऐसे भी रह सकती हूँ ,
तुम्हारी होकर के मै,
मुझसे मेरे जीने का तो ,
आधार मत छीनो ,
कमी कोई नहीं मुझमे ,
बस चाह इक ही है ,
थोड़ी सी जगह जो है मेरी ,
उसको भी न ले लो ,
हर इक कदम पर ,
साथ चल सकती हूँ मै ,
शर्त इक ही है ,
मुझसे मेरा नाम न छीनो .
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.............
जवाब देंहटाएंआपके ब्लोग का नाम बड़ा अच्छा लगा - बात बताशा
जवाब देंहटाएंहर इक कदम पर ,
जवाब देंहटाएंसाथ चल सकती हूँ मै ,
शर्त इक ही है ,
मुझसे मेरा नाम न छीनो .
बहुत सुन्दर रचना
अच्छा लगा यहाँ आकर
आभार
कृपया वार्ड वेरिफिकेशन की बोझिल प्रक्रिया हटा दें, इसके कारण प्रतिक्रिया देने में बेवजह असुविधा होती है.
जवाब देंहटाएं[डेशबोर्ड की सेटिंग में जाकर इसको हटाया जा सकता है]
किसी को किसी का नाम छीनने का अधिकार नहीं है दोस्त।
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