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हमें तो बस अमन चाहिए

सुबह से शहर की सारी सड़कें खाली हैं , अफवाहों का बाजार तो बहुत दिनों से गर्म है। हर जगह हर व्यक्ति बस यही कह रहा है कि क्या होगा बाबरी विध्वंस मामले का फैसला। हर कोई डरा हुआ है। सभी दिल थामकर फैसले का इंतजार कर रहे हैं, एक-एक पल काटना बड़ा मुश्किल हो रहा है। ऑफिस में हूं, लंच टाइम है । अमूमन इन समय हम सहकर्मचारी आपस में हंसी मजाक जरूर करते थे पर आज माहौल ही कुछ अलग है। फैसला आने में बस बीस मिनट बाकी हैं। पूरे शहर में धारा 144 लागू है, शहर में सन्नाटा है, शायद हर किसी के मन में एक ही डर है। पूरे देश में ही अमूूमन यही हाल होगा। सभी ने मुझे ऑफिस आने से भी मना किया था, उनका कहना था कि एक दिन तुम्हारे न आने से अखबार नहीं बंद हो जाएगा। मुझे भी पता है कि उनकी बात सही है पर अगर हर एक व्यक्ति सोचने लगेगा तो क्या होगा। कुछ भी हमें अफवाहों को सच नहीं होने देना। सब कुछ सामान्य है और सामान्य ही रखना है। जाहिर है कि जब इतने विद्वान न्यायाधीशों की खंडपीठ है तो उनका फैयला भी सभी लोगों के हित में ही होगा। हमारे हाथ में तो बस इतना है कि अमन कायम रहे । हर कोई उसे खुले दिल से अपनाए। इसी दुआ के साथ कि कुछ