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जुलाई, 2009 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कमियां भी स्वीकार करो..............

करना है मुझको प्यार करो, पर कमियां भी स्वीकार करो.............. मेरी नजरों से तुम देखो, मेरे सपनों के गाँव को . मेरे जीवन की धूप में, बनकर तो देखो छाँव जरा. राह भटकती दिखूं अगर मै, दीपक बनना अवरोध नहीं, मेरे गुण, मेरे अवगुण , सब सामने है,प्रतिरोध नहीं , जो हूँ जैसी स्वीकार करो . करना है मुझको प्यार करो, पर कमियां भी स्वीकार करो............. मेरी कमियों को ढक लेना, तुम अपनी अच्छाई से , झूठों का बोझ उठा लेना , गर लगे तुम्हे, सच्चाई से . हाँ थोडा सा तो नादाँ हूँ, पर नादानी प्यारी मुझको, बच्ची हूँ तो यही सही, बच्ची से ही तुम प्यार करो ... करना है मुझको प्यार करो, पर कमियां भी स्वीकार करो............. स्वीकार मुझे मेरी कमियां, पर कोई तो सम्पूर्ण नहीं. बनकर एक सच्चे साथी, हर रूप से मेरे प्यार करो. करना है मुझको प्यार करो, पर कमियां भी स्वीकार करो..........

हाय, हाय नया जमाना

गतांक से आगे............. कुछ कम हुआ और वह कुछ बताने के मूड में आये . खाते -खाते ही बोले,"ई नया जमाना का आवा,बिटियों का मोटा -पतला भी दीखाई दे लाग ." उनकी बात ने मुझे चक्कर में डाल दिया कि यह मोटे-पतले की बात बीच में कहाँ से आ गयी . आगे की बात सुनकर सारा माजरा समझ आ गया . वे बता रहे थे " झाक्कन भैया की बिटिया की शादी करवावै गएँ. बारात तो बड़ी तामझाम से आई, पैसे वाली पार्टी थी. सोचा की तगड़ा माल मिलेगा, पर सब बुरा होए मुटापे का सब चौपट हो कर दिन्हेसा '' '' चाचा मोटापे ने तुम्हारा क्या बिगाडा है " '' अरे हमरे जमाना मा तो मोटा आदमी ख़त- पियत घर का समझा जात राहे, पर ई टीबी मा करीना का जीरो फिगर देख कै बिटिया अब जीरो फिगरवा वाला दूल्हा चाहती है." झाक्कन भैया की बिटिया का दूल्हा थोडा खात-पियत रहा. फेरे हो रहे रहें औ हम पर दछिना की बारिश भी . अचानक ६वे फेरे के बाद बिटिया पर करीना का दौरा पड गवा. वा चिल्लाय लागि ,ई दुलहा बहुत मोटा है.हम बियाव न करिबे. "घर वाले समझाई के हार गये पर वा टस से मस न भई." ढूलन बोले,"पर चाचा ई सब से तुम