तो आधी जिंदगी गुजर चुकी है, बाकी भी गुजर ही रही है,लगातार चलती ही जा रही है, पर अभी भी मन बचपन सा ही है, जो जिंदगी पीछे रह गई उसके खट्टे-मीठे पल, छोटी-छाेटी खुशियों की ही याद रह गई है। जो किसी समय लगता था कि बड़ी परेशानियां हैं, उन्हें याद करके बस अब हंसी ही आती है, कितनी बेवकूफ़ और पागल थी मैं कि थोड़ा सा कुछ हुआ और बिफर पड़ी, किसी की बात सुनती भी नहीं थी और खुद ही पहले बोलने लगती थी।
किसी ने कुछ कहा नहीं कि मैने उसकी बात से भी बड़े-बड़े अंदाजे लगा लिए और लग गई अपना ही हवा महल बनाने। भले ही कोई कुछ और कहना चाहता हो पर समझना कुछ और, यही तो किशोरावस्था से युवावस्था के बीच की उम्र का असर होता है। बड़े-बड़े सपने, और हवा-हवाई बातें, अगर नही की तो बीस से पच्चीस के बीच की उम्र जी ही नहीं।
इन्ही बातों से तो जिंदगी बनती है। आज वही बातें फिर से याद आ रही हैं और बड़े दिनों बाद समय निकालकर ब्लॉग पर आ गई, कभी किसी दोस्त ने कहा थी कि लिखना नहीं छोड़ना, मैं उसकी बात भूल ही गई थी, जिंदगी की आपा-धापी और बदलावों के थपेड़ों के साथ संतुलन बनाना आपको कहां से कहां लाकर खड़ा कर देता है। कोई बात नहीं बहुत दिन हो गए लेखन से दूरी बनी रही, व्यस्तता अभी भी बहुत है, ढेरो जिम्मेदारियां, पर फिर भी मन कर रहा है एक बार फिर से लेखन की ओर कदम मोड़ू। हो सकता है कि मेरी पोस्ट या बातें कोई ज्ञान या जानकारी वाली न हों पर इससे मुझे खुद से जुड़ने का एक मौका तो मिलेगा ही।
तो कल से शुरू कर रही हूं, अपनी खट्टी-मीठी कहानियां थोड़ी सच्ची और थोड़ी काल्पनिक, जो मजेदार तो होंगी ही साथ ही मेरी बेवकूफियों को तो कभी समझदारियों को दर्शाएंगी, जिंदगी भी अजीब है, मेरे साथ जुड़े रहिएगा, शायद आप भी इन कहानियों में खुद को खोज लें, और हमें घटनाओं के प्रति एक नया नजरिया मिले।
तो वादा करती हूं कि हर दो दिन में कोई ऐसी कहानी लाऊंगी जो वास्तविकता और कल्पना का मिश्रण होगी, और घटनाओं के प्रति नया नजरिया होगा।
बेहतरीन लेखक हैं आप, लोगों को जिंदगी जीना सिखाते रहिए, लिखना न छाेडिए,
जवाब देंहटाएंमेरे साथ जुड़े रहिएगा, शायद आप भी इन कहानियों में खुद को खोज लें, और हमें घटनाओं के प्रति एक नया नजरिया मिले।
जवाब देंहटाएंतो वादा करती हूं कि हर दो दिन में कोई ऐसी कहानी लाऊंगी जो वास्तविकता और कल्पना का मिश्रण होगी, और घटनाओं के प्रति नया नजरिया होगा।
ये आपने ही लिखा है