सावन की बारिश में ,
मेघ बरस पड़े ऐसे,
गिर रही हो चाँदी जैसे ,
छन - छन छनाक करके
छत पर किसी जो बरसे ,
आवाज को भी तरसे ,
तिरपाल पे गरीब की ,
तड -तड तड़ाक करते
बरसे जो ये सड़क पर ,
बच्चे छपाक करते ,
गिर जाये जो गली में ,
कीचड़ बेहिसाब करते ,
टप -टप जो हुई बारिश ,
मन की गयी न तपिश ,
झर-झर जो बरसते ,
धरती को तृप्त करते
खेतों में ये बरसकर ,
किसानो को तृप्त करते ,
बेवक्त जो ये बरसे ,
नुकसान खूब करते
हिसाब भर बरसकर ,
सबका कल्याण करते ,
हद से जायदा जो बरसे ,
सत्यानाश ही करते .
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