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भूला नहीं जाता



कुछ दिनों की यादें भूलने के लिए नहीं होती हैं। शायद उनकी नियति हमेशा याद आना होता है पर बिल्कुल चुपचाप । कुछ ऐसे ही जजबात दिल में भरे रहते हैं। कुछ कहते हैं।
वो घूमना संग-संग,
वो बैठना साथ-साथ,
वो बातों में घुला रंग,
वो देखना चुपचाप,
हर बात में सिर हिलाना केवल,
बस मानना चुपचाप,
देखना फिर खुश होना मेरा,
बात बिना बात ,
भूला नहीं जाता।
रोज मिलने की जिद करना,
बुलाने पर चले आना,
कोई नाता न होने पर भी,
हर नाता निभाना,
वो मेरा बेवजह नाराज होना,
और तेरा सुनना बेबात,
वो घंटों बाद ये कहना,
मेरी गलती न थी जनाब,
भूला नहीं जाता।
अब तो दूरी है,
केवल याद बाकी है,
फिर भी तेरा जिक्र आने पर,
तेरी यादों का सैलाब,
भूला नहीं जाता।

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