क्यूं इस तरह ,
मेरी उलझने बढ़ाते हो?
कौन हो तुम और,
मुझसे क्या चाहते हो?
देखो जरा सोंचकर,
मन में परखकर बोलना,
बाद में कहीं,
पड़ जाए न पछताना,
ये दुनिया है अजीब,
यहां तेरी-मेरी नहीं चलती।
ये भुलावा है दोस्त,
सभी को है छलती।
देखो कहीं बात उल्टी न हो,
बोलना वही सबको पसंद हो।
मन में दबा जाना,
चाहते जो कहना,
दबी-छुपी सी बातें,
निकल आएं कहीं न?
जग को भली लगे जो,
कहने की रीत है?
काजल की कालिमा सी,
तेरे दिल की प्रीत है।
दिल की दिल में रहने दो,
अंजाम सोंच लो।
बोलने से पहले,
हर बात तोल लो।
हर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंbahut badhiyaa.......
जवाब देंहटाएंkya aap mere agle sanchayan sangrah me shamil hongi?