भले ही आप कितने ही बड़े पद पर क्यों न हों, इन ऑटो वाले भाइयों के लिए एक सामान से ज्यादा कुछ नहीं है। जैसे किसी शक्कर सा आलू के बोरे को लादा जाता है, वैसे ही ये अपनी सवारियों को ठूंस-ठूंस कर बिठाते हैं। जैसे ही आप टैंपो स्टैंड पर पहुंचेगे इनकी खींचा तानी शुरू हो जाएगी। कोई बड़ी बात नहीं कि आपका हाथ पकड़ कर या सामान पकड़कर ये भैया लोग अपनी-अपनी ओर खींचने लगें।
आपको पता है कि आटो में कितनी व्यक्तियों, माफ कीजिएगा, सवारियों को बैठाया जाता है। आपका जवाब होगा पीछे तीन और चालक के साथ केवल एक सवारी बैठाने का नियम है। तो भई इस मामले में हमारे शहर के ऑटोचालक भाई थोड़ा सा आजाद ख्याल है। पीछे कम से कम से चार और आगे तीन सवारियां तो बैठेंगी ही। हां अगर कोई महिला अपने बच्चों के साथ है तो पीछे की सीट पर चार से बढ़कर पांच या छह सवारियां बैठ जाएगी।
आपको आश्चर्य हो रहा होगा कि यह कैसे संभव है। बड़े-बड़े शहरों में छोटी-छोटी बातें तो होती ही रहती हैं। अगर किसी सवारी ने अन्य सवारी बिठाने से मना कर दिया तो इनका पारा सांतवें आसमान पर हो जाएगा। तो यह हिम्मत मत दिखाइएगा मेरे दोस्तों क्योंकि आपको उतरना भी पड़ सकता है। आप केवल पांच रुपए ही दे रहे हैं कोई एहसान नहीं कर रहे हैं। इतना ही आराम से बैठकर चलने का शौक है तो ऑटो बुक करवाकर क्यों नहीं चलते। इतना सब सुनने के बाद भी अगर आपमें हिम्मत बचे तो फिर टकराने की हिम्मत दिखाइएगा। अगर आपको किसी रास्ते से रोज ही आना-जाना है तो फिर तो यह हिम्मत मत ही दिखाइएगा क्योंकि चालक आपको पहचानने लगते हैैं और आपको बिठाएंगे ही नहीं। उनकी भाषा में एक खोचड़ी सवारी के रूप में प्रसिद्घ हो जाएंगे।
आपके शरीर के मोटापे की चिंता आपको भले ही न हो परंतु इन भाइयों को जीरो साइज फिगर वाली सवारियां बड़ी पसंद आती हैं। अरे चार पतली सवारियां बड़ आराम से पीछे बैठ जाएंगी न। मोटी सवारी को देखते ही जगह होने के बावजूद भी ये इनकार कर देंगे। पतली सवारी को देखते ही खुशी-खुशी उसे बिठाने वाले चालकों में होड़ लग जाएगी। इसके बाद हर एक ऑटो में एक युवा कन्या सवारी बैठी होना यूएसपी मानी जाती है। ऐसे में बिना किसी प्रयास के ऑटो जो भर जाएगी।
सावधान इन ऑटोचालक भाइयों को कमतर समझने की भूल मत कीजिएगा । इनकी कीमत आपको उस दिन समझ में आएगी जिस दिन इनकी हड़ताल होगी। शायद आपका ऑफिस या कॉलेज जाना मुश्किल हो जाएगा। एक दिन ही ऐसा होने पर आपको हर टैंपो स्टैंड पर सौ-सौ लोगों की भीड़ मिल जाएगी। उस दिन ये आपसे दो से तीन गुना किराया वसूलने से नहीं चूकेंगे। आप भी खुशी-खुशी इन्हें मनचाहा किराया देने को तैयार हो जाएंगे।
इसके अलावा आपको संगीत सुनने का शौक है या नहीं पर यहां मजबूरी है कि आपको भी चालक की पसंद का कनफोड़ू टेप सुनना ही पड़ेगा। नए-नए भजनों और लोकगीतों का परिचय भी आपको यहीं मिलेगा। अरे हां बाइकर्स की तरह एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में रेस लगाना और मोबाइल पर बतियाते हुए गाड़ी चलाना भी इन्हे खूब भाता है
इस सबके बावजूद ये हमारे शहर की धुरी हैं। इनके बिना हममे से किसी का काम नहीं चल पाएगा। भई फ्री में पुलिस और होमगार्ड भैय्यों और बहनों को बिठाना है, हर चौराहे पर पर्ची कटवानी है और वसूली देनी है तो इन्हें भी यह सब करना ही पड़ेगा। त्यौहार के दौरान हर चौराहे पर तैनात पुलिस वाले की यही कोशिश रहती है कि गुझिया, पटाखों और मिठाइयों का सारा खर्चा इन्हीं बेचारों से वसूल लिया जाए। तो ऐसे में ये कुछ बेफ्रिकी से जिंदगी चलाना चाहें तो क्या बुरा है?
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