अधिकार मत मांगो,
अधिकार ले लो,
क्योंकि यह तो ,
छीनने की चीज है,
जीतने की चीज है,
पाने की चीज है।
अधिकार चाहते हो,
तो कर दो तुम समर्पण,
साथ रखो पवित्रता का,
मन हो पावन,
न हो कोई दुर्भावना।
रिश्तों को बनाने में,
विश्वास बड़ी चीज है,
विश्वास जीतने की,
कर लो तुम कोशिश,
साधिकार तुम मानो।
रिश्तों की परिभाषा भी,
कोई एक ही नहीं है,
भावना हो पवित्र तो,
कोई बुराई नहीं है,
साथ किसी का चाहना
अधिकार किसी पर है,
बनता इसी विश्वास से,
टूटेगा न ये रिश्ता,
किसी अंधड़ या तूफान से,
न तो किसी मांग से।
रिश्तों में नहीं होती,
केवल लेने की चाह,
देने की चाह हो तो,
लाती है संपूर्णता।
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