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पहचान खोजती हूँ.

उम्मीदों का कारवां खोजती  हूँ,
राही हूँ सही राह खोजती हूँ,
लहरों का किनारा न सही,
डूबते को तिनके का सहारा खोजती हूँ.
पथ है धुधला, राह मुश्किल ,
सूरज कि रौशनी न सही 
दिए की रौशनी खोजती ही सही,
मंजिल न सही अधर ही सही ,
अपने सपनो का जहाँ खोजती हूँ ,
थोडा सा डर , थोड़ी कशमकश,
एक पल ख़ुशी,एक पल डर ,
दुविधा, आशा निराशा के बीच झूलती,
अपने कदमो के निशान और,
और अपनी पहचान खोजती हूँ.

टिप्पणियाँ

  1. hi shikha great job...keep going on my best wishes r wid u..
    manisha savita

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  2. सुन्दर कवितायें बार-बार पढने पर मजबूर कर देती हैं. आपकी कवितायें उन्ही सुन्दर कविताओं में हैं.

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