उगल दो जो मन में आया है,
छुपाओ नहीं कुछ भी,
क्योकि
छुपाने से मन भड़कता है,
दिल जलता है,
इससे
भले किसी का कुछ न बिगड़े,
असर अपनी सेहत पे पड़ता है ,
एक गाल पर थप्पड़ पड़े तो ,
दूसरा आगे मत करो ,
क्योकी
चोट को अपने गाल पर लगना है.
सहने कि भी एक सीमा होती है,
जादा सहना भी मुर्खता है,
जब हम ही नहीं होगे तो ,
हमारी नेकी का क्या
अचार डालना है ,
पहले खुद तो बच ले ,
फिर ज़माने को देखना है
ये है लाइफ का सही फंडा
maza aaa gaya bahut dino bad aapne acchi baat likhi hai
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