पितरो के इन दिनों में,
सारे कौवों की वाह-वाह है,
उनके दिन भी फिर गये है.
पितरो के बहाने वो भी मालामाल है.
किसी ने सही कहा है कि,
घूरे के दिन भी बहुरते है,
सो सोचा कि अपने भी आयेगे,
कभी हम होगे सबसे ऊपर,
और उन पर हुकुम चलायेगे,
जो आज है हमारे ऊपर,
हो सकता है लगे कि सपना है,
सपना हि सही,
कौवो से गये गुजरे हम तो नहीं,
ये दिन भी गुजर जायेगे,
हम भी शाह कहलायेगे .
शुखा जी ये उत्साह बनाये रखें कुछ करने का जज़्वा हो और आत्मविश्वास हो तो इन्सान क्या नहीं कर सकता जरूर दिन आयेंगे आशीर्वाद्
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