करना है मुझको प्यार करो,
पर कमियां भी स्वीकार करो..............
मेरी नजरों से तुम देखो,
मेरे सपनों के गाँव को .
मेरे जीवन की धूप में,
बनकर तो देखो छाँव जरा.
राह भटकती दिखूं अगर मै,
दीपक बनना अवरोध नहीं,
मेरे गुण, मेरे अवगुण ,
सब सामने है,प्रतिरोध नहीं ,
जो हूँ जैसी स्वीकार करो .
पर कमियां भी स्वीकार करो..............
मेरी नजरों से तुम देखो,
मेरे सपनों के गाँव को .
मेरे जीवन की धूप में,
बनकर तो देखो छाँव जरा.
राह भटकती दिखूं अगर मै,
दीपक बनना अवरोध नहीं,
मेरे गुण, मेरे अवगुण ,
सब सामने है,प्रतिरोध नहीं ,
जो हूँ जैसी स्वीकार करो .
करना है मुझको प्यार करो,
पर कमियां भी स्वीकार करो.............
मेरी कमियों को ढक लेना,
तुम अपनी अच्छाई से ,
झूठों का बोझ उठा लेना ,
गर लगे तुम्हे, सच्चाई से .
हाँ थोडा सा तो नादाँ हूँ,
पर नादानी प्यारी मुझको,
बच्ची हूँ तो यही सही,
बच्ची से ही तुम प्यार करो ...
करना है मुझको प्यार करो,
पर कमियां भी स्वीकार करो.............
स्वीकार मुझे मेरी कमियां,
पर कोई तो सम्पूर्ण नहीं.
बनकर एक सच्चे साथी,
हर रूप से मेरे प्यार करो.
करना है मुझको प्यार करो,
पर कमियां भी स्वीकार करो..........
मासूमियत को कमिया नहीं कहते ...सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंmeethi - pyari araz achhi lagi...
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