चेन्नई ओपेन टूर्नामेंट के उपविजेता सोमदेव देववर्मन भारतीय टेनिस के लिए नई आशा बनकर उभरे हैं। सफलता पाने के लिए कठिन परिश्रम करने वाले सोमदेव इस खेल में नई ऊंचाइयां छूना चाहते है। ई-मेल इंटरव्यू के जरिए जाने गये उनकी जिंदगी के कुछ अनछुए पहलू
आपने टेनिस ही क्यों चुना?
यह एक संपूर्ण खेल है, जिसके लिए शारीरिक रूप से मजबूत होने के साथ ही मानसिक दृढ़ता बहुत आवश्यक है। यही कारण है कि मुझे टेनिस पसंद है।
अपने बचपन के बारे में कुछ बताएं?
मेरा जन्म असम में हुआ था। मैं बचपन में काफी शरारतें किया करता था, खासतौर पर शिक्षक मुझसे काफी परेशान रहते थे। अपनी शरारतों के कारण मुझे उनसे काफी डांट सुननी पड़ती थी, लेकिन इसके बावजूद मैं पढ़ाई में एक अच्छा छात्र था। आठ साल की उम्र में मेरा परिवार चेन्नई रहने आ गया। यहीं पर मेरे टेनिस खेलने की शुरुआत हुई।
आपके कॅरियर में परिवार का कितना योगदान है?
मेरी मां त्रिपुरा की है तो पिता मेघालय से। दोनों मुझे बहुत अधिक प्यार करते है। मेरा एक बड़ा भाई और एक बहन भी है। हमारा पूरा परिवार स्नेह के अटूट बंधन में बंधा है। उनके समर्थन व प्यार के बल पर ही मैं आज इस मुकाम पर हूं। अच्छे आदर्श मुझे अपने परिवार से ही मिले है।
आपको इतनी ऊर्जा कहाँ से मिलती है?
टेनिस के लिए मेरे प्यार और परिवार तथा देश का नाम ऊँचा करने की भावना से।
आपका फिटनेस रुटीन क्या है?
मेरा फिटनेस रुटीन ऑन और ऑफ सीजन ट्रेनिंग पर निर्भर करता है। ऑन सीजन मैं 6 से 8 घंटे वर्कआउट करता हूं, तो ऑफ सीजन में 2 से 4 घंटे ही पर्याप्त होते है।
भविष्य की योजनाएं क्या हैं?
मैं लगातार मेहनत के बल पर आगे बढ़ते रहना चाहता हूं। इसके साथ ही भारत के लिए और अधिक उपलब्धियां प्राप्त करना मेरा लक्ष्य है।
टेनिस जगत में मिल रही प्रशंसा पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
बहुत अच्छा लगता है, जब मुझे भारत की उम्मीद कहा जाता है। इतना ही पर्याप्त नहीं है। यह तो शुरुआत है, अभी तो मुझे और भी सफल होना है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें