आज भी जब देखती हूँ , किसी को अपने पिता के साथ , तब जाने क्यों आती है ? मुझे आपकी याद। कई बार तो जब कोई अजनबी , आपकी कद-काठी का , मोटरसाइकिल पर सवार , धीरे -धीरे उसे चलाता , हैलमेट के साथ , और मानता है सारे ट्रैफिक नियम , भ्रम होता है मुझे की आप ही है , और याद आ जाते है आप। जब भी मुझे मेरे अधूरे सपने , पूरे होते हुए दीखते है , ऐसा लगता है मैने , थोड़ा ही सही कुछ पाया है। आप ठहराते थे गलत, हर बात पर मुझे वो भी याद है। लगता है की कही से भी बार , मै ला सकूँ वापस , और कह सकूँ की मुझे, आपसे कोई शिकायत नहीं है। काश ! मै आपको बता पाती , कि मुझे केवल बहस करना ही नहीं , आपसे प्यार करना भी आता है। कई बार जब कठिन होती है राह , तब काम आतें है मेरे , आपके दिए हुए विचार , तब लगता है मुझे, कि बचपन तो बचपन ही होता है, और उसे अच्छी जवानी बनाने के लिए , वह सब कितना जरूरी होता है, जो आप करते थे। शायद आप जानते थे , की यहाँ आपको ज्यादा नहीं रहना है। इसीलिए कभी आपने मुझे , अपना सहारा नहीं थमाया , हर बार मुझे आगे करके , आत्मनिर्भर बन
कुछ कही सी, कुछ अनकही.................