शायद हर एक लड़की के मन में यही पुकार उठी होगी जिसे वो किसी से कह नहीं पाती .............हमेशा यही एक डर उसके मन में होता है ........................... जो हूँ वही रहने दो , बस इतना एहसान कर दो , मुझे खुद में मिलाकर तुम , मेरी पहचान मत छीनो, ऐसे भी रह सकती हूँ , तुम्हारी होकर के मै, मुझसे मेरे जीने का तो , आधार मत छीनो , कमी कोई नहीं मुझमे , बस चाह इक ही है , थोड़ी सी जगह जो है मेरी , उसको भी न ले लो , हर इक कदम पर , साथ चल सकती हूँ मै , शर्त इक ही है , मुझसे मेरा नाम न छीनो .
कुछ कही सी, कुछ अनकही.................