संतोष तू कहाँ रहता है? कौन सा घर तेरा अपना है? कहाँ तेरा बसेरा है? मुझे तुझे पाना है. किस भावना में छिपा है? किस कार्य में है जकड़ा? किसकी व्यथा है सुनता ? किसने है तुझको पकड़ा? किस हर्दय का है वासी? बना है क्यूँ प्रवासी? मेरे हर्दय का तू आकर बन जा निवासी कितना है ढूढ़ा मैंने? हर कार्य हर सफलता में, बनता है तू सुरसा सा, हर छन हर पल में बन गया है तू बदल, और मई कहानियों में, छिपी बुढ़िया, जो सोचती है. झाड़ू से तुझको छूना, और तू निर्मोही, चला जाता है ऊपर, और ऊपर, और ऊपर .
कुछ कही सी, कुछ अनकही.................