कहते हैं कि किसी की निजी डायरी पढ़ना अच्छी बात नहीं होती है पर क्या करूं प्रतिज्ञा तेरी डायरी को पढ ने के बाद रहा नहीं गया। दिल को छू लेने वाली कुछ बेहद निजी भावनाएं तेरी डायरी से चुरा रही हूं , मुझे माफ कर देना जिंदगी भी कितनी अजीब है, हर पल एक नई कहानी गढती रहती है। कदम-कदम पर हमें कुछ ऐसा देखने को मिलता है जो हमें आश्चर्य में भरने के लिए काफी होता है। अगर हमें किसी भी चीज की चाह होती है, तो वो कभी मिलती नहीं, और जो मिलती है उसकी चाह नहीं होती। पूरी जिंदगी यो कट जाती है मानों कुछ जिया ही न हो। जीना तो सभी चाहते हैं पर किस मोल पर, सपनों, आशाओं और उम्मीदों के मोल पर जिंदगी किस काम की? कुछ ऐसी ही जिंदगी है मेरी भी, मैं भी यूं ही जी रही हूं। फीके पड े सपने और धुंधली पडी चाहतों के साथ। आखिर कौन है इसका जिम्मेदार, मैं खुद नहीं समझ पाती हूं। मेरे घर वालों को लगता है कि यह सब मेरी नादानी है, पागलपन है, आखिर क्या कमी है मेरी जिंदगी में? सब कुछ तो है मेरे पास एक प्यार करने वाला, सच्चा और मेरे सुख-दुख का खयाल रखने वाला जीवन साथी, जो मुझ पर अटूट वि
कुछ कही सी, कुछ अनकही.................