सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

नवंबर, 2009 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मंजिल तो मिलेगी ही

जो आया है उसे देखा; आने वाला भी देखेगे हर एक पर्वत को बिलकुल, तिनके कि तरह कर देगे. कर सके फ़ना हमको, ज़माने में इतना बल नहीं; हर एक सवाल का बेधडक जवाब, हम उसको दे देगे . वादा तो नहीं कर सकते, उम्मीद तो है ही . आने वाले बवंडर को , हवा का झोंका कर देगे. लाख दुश्मन बने जमाना, खुद तय मंजिल का सफ़र कर लेगे.